Saturday, December 31, 2011

"राजनिति हर निति में शामिल है"

जिस दिन अन्ना ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहीम छेड़ी थी उस दिन से लेकर आज तक में इतना ज्यादा परिवर्तन क्यों हो गया.........??
क्यों अन्ना अपने अभियान से बार-बार भटकने लगे??पूरी जनता उनके इसी निः स्वर्थ्य आन्दोलन और सोच के  साथ थी फिर वो राजनिति की तरफ क्यों जाने लगे.??
ये अन्ना के आन्दोलन का ही  दम था की सरकार को झुकना पड़ा और संसद में लोकपाल बिल  लाकर  बक़येदा बहस करना पड़ा,लेकिन जब बहस का दिन तय था तो अन्ना ने अनशन और जेल भरो आन्दोलन की बात क्यों की??क्या उन्हें संसद पर भरोसा नहीं था, चलो मान लिया भरोसा न सही लेकिन जनता को भी देखने देते की देखो ये हैं हमारे देश के कर्णधार  और हमने इनको मौका  दिया एक सशक्त  बिल लाने का.......जिसमे ये खरे नहीं उतरे....
अन्ना और उनकी टीम ने राहुल गाँधी पर निशाना साधा ..ये भी अजीब ही था ,मेरे एक मित्र हैं डॉ.कुमारेन्द्र सिंह सेंगर जिन्हों ने एक बहुत ही अच्छी बात कही थी अपने ब्लॉग(जागरण जंक्सन"मुद्दे की बात" ) में की राहुल गाँधी मतलब क्या है??एक पार्टी के महासचिव, एक सांसद, एक उच्च परिवार के सदस्य, पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे और पोते…इसके अलावा उनकी कौन सी उपलब्धि उनको राहुल गांधी से अलग दूसरे प्रकार का राहुल बनाती है? अन्ना हजारे और उनकी टीम के अलावा देश के लाखों-लाख लोग इस कारण उनके साथ नहीं हैं कि वे किसी दल विशेष को चुनाव में हराने का कार्य करते हैं, किसी नेता विशेष के बयानों पर अपनी तल्ख टिप्पणी देते हैं, संसद को अपने अनशन से झुकाते से दिखते हैं वरन देश का जागरूक वर्ग उनके साथ इसलिए खड़ा हुआ है कि वे एक सार्थक विषय को लेकर चले हैं, उनके द्वारा एक समस्या का निदान खोजे जाने का रास्ता बनता दिखा है। बिलकुल सही कहा है डॉ.साहब आपने अन्ना का अभियान भटक गया है............!!
जब अन्ना की तबियत  ठीक नहीं थी उसके बावजूद उन्हों ने अनशन किया और वो कर न सके लेकिन उनकी टीम तो उस अनशन को जारी रख सकती थी??
जेल भरो आन्दोलन कर सकती थी क्यों नहीं  किया जबकि  पहले से सुनिश्चित किया था ??
जब लोकसभा में बिल पास हो गई तबतक अन्ना टीम इसका विरोध करती रही सरकारी बिल के नाते और वही बिल जब राज्य सभा में लटक  गई  तो अन्ना के सहयोगी ये बोल रहे हैं की अगर  सरकार संशोधन कर लेती तो  ये बिल कुछ हद तक लोकपाल की शुरुआत होती..........लेकिन उन्हें और हम जनता को तो ये सरकारी लोकपाल किसी भी कीमत पर नहीं चाहिए था और इसीलिए उन्हों ने संसद में बहस चलने के बावजूद अनशन और जेल भरो आन्दोलन का दम भरा था  ................??
राज्यों में लोकायुक्त के गठन का प्राविधान न करने की विपक्षी दलों की जो मांग थी उसपर टीम अन्ना ने क्यों कुछ नही बोला ??
क्या वाकई अब टीम अन्ना भ्रष्टाचार के खिलाफ न लड़ाई करके सीधे सरकार या यु कहें की कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई में जुटी है??
अब तो अन्ना और उनकी टीम की सोच जिस राह पर जाती नज़र आ रही है उससे येही लगता है की राजनिति हर निति में शामिल है...............!!! 

Wednesday, October 12, 2011

"राजनीति और यात्रायें"

 जब भी यात्राओं का ज़िक्र होता है  दिमाग  में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की तीर्थ यात्रा  याद आती है, लेकिन आज के  दौर  में  जब भी यात्राओं का ज़िक्र आता है तो बरबस ही  दिमाग  में  राजनितिक यात्रायें घुमने लगती है|
इन राजनितिक यात्राओं की शुरुआत गाँधी जी द्वारा दांडी यात्रा से हुई जिसका मकसद अंग्रेज़ो का बहिष्कार करना था| बड़ा ही शुद्ध , स्वक्ष विचार और देश हित में की गई ये यात्रा थी| जिसका परिणाम...., आज हम स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं|
इस आधार यात्रा  के बाद कई जानी-मानी यात्रायें हुई जब देश आज़ाद हुआ|
देवीलाल और वि.पि सिंह द्वारा की गई  यात्रा,जिसका मकसद जनाधार पाना था लेकिन वि.पि. सिंह जी को देवीलाल का प्रभाव जनता में ज्यादा दिखा और यात्रा का परिणाम ये रंग लाया की  उन्हों ने मंडल का कमंडल देश को थमा दिया इसलिए क्योकि उनका जनाधार बढ़े|
अडवाणी जी की यात्रा....., इस यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर से हुई इसलिए क्योकि इसका मकसद राम मंदिर का निर्माण करना था| इसका अंत बिहार में हुआ या  यों  कहें की करना पड़ा क्योकि बिहार सरकार ने इजाज़त नहीं दी| परिणाम भाजपा की सरकार बनी  लेकिन जिस मकसद से यात्रा हुई थी वो मकसद धरा का धरा रह गया...., हाँ!  राम जी ने  भाजपा का तो कल्याण कर ही  दिया|
राहुल गाँधी  की पद यात्रा मकसद ग़रीबों का कल्याण लेकिन इसमें भी वोट बैंक के कल्याण से ज्यादा नज़र नहीं आता|
अन्ना जी......., भारत को एक ऐसा समाज सेवी मिला जो   राजनीति से परे देश  हित में सोचने वाला गाँधी रूपी विचार धारा रखने वाला....,
किन्तु कुछ दिनों पहले इन्होने भी यात्रा शुरू करने   की बात की और यात्रा का मकसद कांग्रेस के खिलाफ जनसमर्थन न बने |  अन्ना जी जब बच्चे बच्चे के ज़बान पर आये तो इनका मकसद था भ्रष्टाचार  की खिलाफत करना लेकिन कैसे इनका आन्दोलन यात्रा में बदला और  राजनीति से प्रेरित  हो गया पता नहीं चला|
आंकलन कीजिये  दांडी यात्रा से आजतक की गई यात्राओं पर, जो इन यात्राओं की आधार यात्रा थी उसका मकसद और आज की गई यात्राओं का मकसद!!!
आज राजनीती में की गई यात्राये देश का  कौन सा  हित कर रहीं है???

Saturday, October 8, 2011

"The Mango People"

 कुछ  नहीं  बदलने  वाला साहब!! ....एक  छोटा  सा  उदहारण  =बिजली  का  मीटर  इलेक्ट्रोनिक  कर  दिया  गया  क्योकि चोरी बंद हो लेकिन बिजली  चोरी  बंद  नहीं  हुई|आखिर  इस  चोरी  का  ज़िम्मेदार कौन  है??  नेता  है ??  ऑफिसर है ??जी नहीं  इनमे से कोई नहीं, अगर है तो  आम  जनता (जिसको मै आंग्ला भाषा में" the  mango people " कहती हूँ ) क्योकि  आम आदमी को आम खाने की आदत हो चुकी है|
.ये  इंडिया  है  हर  बात  का  तोड़  निकाल  लेते  हैं  लोग .और  माने  या  न  माने .........अन्ना  को  जो  बी  कवायेत  करनी  है  वो  जनलोकपाल  के  लिए  करनी  चाहिए   न  की  कांग  ,बीजेपी  या  अन्य  पार्टी  को  वोट  दे  या  न  दे  की  सीख  दे कर| ये पुब्लिक है अन्ना साब ,जो किसी की नहीं है,कब किसको आसमान पर बिठा दे और कब किसको ज़मीं पर ला दे पता नहीं चलता  .......होगा  ये  कि  जितना  समर्थन  मिला  था  आपके विचारों को   उतने  ही   लोग  उनके (आपके विचारों के)  खिलाफ  हो  जायेंगे क्योकि  लोग राजनीति से  ऊब चुके हैं| 

Wednesday, July 13, 2011

अनुरोध ..............

 मुंबई  ब्लास्ट  हुआ  कल ,कितने  लोगों  के  परिवार  उजड़  गए  होंगे , 
 कुछ  अपाहिज   हो  गए होंगे....,  
लेकिन  लोगों  का  गुस्सा   ये  की  मुसलमान  पैदाइशी  आतंवादी  होते  हैं...,  
क्यों  लोग  ये  भूल  जाते  हैं   की  मरने  वालों  में  कोई  एक  धर्म  शामिल  नहीं  है ,क्यों  भूल  जाते  हैं  की  अपने  कब्रिस्तान   में  आतंक  वादियों  की  लाशो  को  दफ़नाने  से  मुसलमानों  ने  इंकार  कर  दिया  था ,जामा   मस्जिद  में  भी  ब्लास्ट  हुआ  था .....
मेरा   आपलोगों  से  अनुरोध  है  की  कृपया  ऐसी  बातों  से  इस   दुःख  के   छड   में  किसी  धर्म  विशेष  को  न  भड़काए ....शांति  बनाये  रखे .... उन आंतकवादियों की मंशा को साकार ना करे , ये  हमारे  और  हमारे  देश  के   लिए  हितकर  होगा ,हम  भारतीय  हिन्दू-मुसलमानों  को  एक  साथ  होकर  इसका  विरोध  करना  चहिये ,न  की  एक -दुसरे  पर  इलज़ाम  लगाने  का  वक़्त  है .......धन्यवाद् !! जय हिंद.....!!

Monday, July 11, 2011

सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण

तुलसी दास जी विद्वान होते हुए रामायण में एक ऐसी चौपाई लिख दी कि कुछ वर्ग विशेष को बहुत खलती है..........,
खास तौर से जिनको "शुद्र" की श्रेणी में रखा जाता है, वो अपने- आप को अपमानित समझते हैं और अपने मंचों से तुलसी दास की निंदा भी करते हैं|

वह चौपाई अरण्य कांड में इस तरह है........

"पुजिय विप्र शील गुण हिना ,शुद्र न गुण-गन ज्ञान प्रवीना"


बहुत मनन करने के बाद मेरे चिंतन में यह आया कि गुण तीन होते हैं.........
सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण,........यह तीनों गुण मिल कर के मनुष्य के शील को नष्ट कर देते हैं.........,
इसीलिए तुलसीदास जी का आशय था कि बिना पढ़ा लिखा “विप्र” अगर इन गुणों से हीन है तो वो स्वयं ही योगी और संत है,और वह "ब्रम्ह जानाति ब्राम्ह्मनाह" की श्रेणी में आ जाता है ,जिसका अर्थ है --- ब्रह्माण्ड को जानने वाला ही ब्राह्मण है|

योगी , साधु तथा निर्गुण मनुष्य (यहाँ निर्गुण से तात्पर्य उन तीनों गुणों से हीन जो उपर्युक्त दर्शाए गए हैं)  ब्राहमण की श्रेणी में आता है उसकी जाति विशेष से सम्बन्ध नहीं होता |

दूसरी तरफ एक विद्वान मनुष्य सभी ग्रंथो का अध्ययन करने के बाद भी इन उपरोक्त तीनों गुणों का त्याग नहीं करता तथा उसका शास्त्रिय ज्ञान केवल विद्वता के लिए है ,वह विदेह नहीं है उसका अध्ययन और पांडित्य केवल छिद्रान्वेषण (टिका-टिपण्णी) के लिए ही होता है, वास्तविकता यह है कि उसकी आस्था उस विषय में नहीं होती | वही "शुद्र" है|
इसलिए वह साधु ,योगी की श्रेणी में नहीं आता,अतएव वह पूजनीय नहीं है और इससे यह समझा जा सकता है कि ब्राहमण तथा शुद्र कोई जाति नहीं होती|

रैदास, कबीर, बाल्मीकि अदि पूजनीय हैं जबकि वे जाति निम्न वर्ग के थे| | तुलसी दास की उसी सम्बन्ध में एक और चौपाई है जो उपरोक्त अर्थ को सार्थक करती है ..................

ज्ञान मान जह  ऐकौह  नाहिं,देख ब्रह्म समान सब माहीं|
कहिये तात सो परम विरागी, र्त्रिन सम सिद्धि तीन गुण त्यागी||

अतः तीनों गुणों को त्यागने वाला ही परम विरागी और पूजनीय है|

Thursday, July 7, 2011

राम ही राखे

हम तो पहले ही कह रहे थे के सोनियां आंटी अगर मन्नू अंकल को बोलने से मना करतीं हैं तो इसमें ज़रूर देश की भलाई होगी,
क्योकि मन्नू अंकल अगर बोलेंगे तो लोग उन्हें तोलेंगे और फिर पोल खोलेंगे.....!!
आखिर मन्नू अंकल का स्वाभिमान जगा दिया आपलोगों ने और उन्हों-ने बोल डाला,बोला क्या.... फोड़ डाला............ "बांग्लादेश की २५ फीसदी आबादी भारत विरोधी है"...,
हो गया बेड़ा ग़र्क़....ले-दे के कुछ ही देशों से बनती है और उसपर भी ये बयान ............. पूरा पीएमओ परेशान और हलकान इसको कवर करते-करते!
देखा सोनियां आंटी कितनी सही हैं........अब अगर मन्नू अंकल ने कुछ बोला तो राहुल भैया आप तैयार रहिये क्योकि ये लोग जो आपकी पद यात्रा का मज़ाक बना रहे हैं
इन्हों-ने कभी ख़ुद ये मज़ाक करने की जुर्रत नहीं की.............??वाता अनुकूलित में रह कर और लाल बत्ती वाली गाड़ियों में घूम कर देश चलाना बहुत आसान है
यहाँ तक की cong में ही गाँधी परिवार के सिवा किसी ने ये हिम्मत नहीं दिखाई|
और वोलोग जीनका नारा ही ये है की 'बहुजन हिताय-बहुजन सुखाये'.......बहुजन सिर्फ सुखाये ही सुखाये......!!
राम ही राखे ...........

Thursday, June 30, 2011

आभार..........

हमारे देश की महिलाएं कितनी सशक्त भूमिका निभा चुकीं हैं और निभा रहीं हैं , सोच कर बहुत हर्ष होता है|
जैसे- सावित्री ने यमराज को मजबूर कर दिया अपने पति को जीवित करने के लिए,
मेनका,उर्वशी,रम्भा, इन्होंने बड़े-बड़े ऋषि-महर्षि और योगियों के तप को भंग कर दिया,
कैकेई ने अयोध्या के महाराजा को अपने आगे विवश कर दिया,
द्रोपदी के एक अट्टहास से महाभारत हो गई,
दस्यु सुंदरी फूलन देवी के क्या कहने .......
लेकिन फिर भी कहीं न कहीं कोई न कोई कमी महसूस हो रही थी,
घोटाला.. ......इस पर क्या सिर्फ पुरुषों का एकाधिकार रहेगा.....??
नहीं बिलकुल नहीं और ऊपर वाले ने जैसे सुन ली और
वो कमी भी 'कनिमोरी' ने पूरी कर दी,जी हाँ आजतक किसी घोटाले में कोई महिला सामने नहीं आई,
बड़ी तसल्ली मिली के अब हमारे देश की महिलाएं किसी काम में पीछे नहीं........!!
हम आभार व्यक्त करतें हैं 'कनिमोरी जी' का.........!!

Saturday, June 25, 2011

कोई मुद्दा ही नहीं ....

कल ही की तो बात है ,मेरे मित्र ने कहा कि किस विषय पर ब्लॉग लिखोगी??मैंने कहा विषय तो बहुत से हैं,जैसे महंगाई,भ्रष्टाचार,बलात्कार,इनका बढ़ना और खुशियों का घटना..,
सरकार का आम जनता कि भावनाओ का फायेदा उठाना और आम जनता का खुद पर भरोसा ना होना |
लेकिन अब इन विषयों पर चर्चा करना एक मज़ाक लगता है,just a time pass...!!अब तो ये प्रतीत होता है की ये तो हमारे देश का कोई मुद्दा ही नहीं है | लोकपाल बिल का ज़बरदस्त समर्थन जनता की तरफ से,
लेकिन ख़ुद में कितना परिवर्तन करते हैं लोग....??रिश्वत लेना और देना किसका काम है.....??आम जनता का ही तो है ना....??अगर हम ना देने कि ठान लें तो लेने वाला कोई नहीं बचेगा,और रिश्वत लेने वालों का ये जुमला कि लेंगे नहीं तो घर कैसे चलेगा............देश चलेगा ये कोई नहीं सोचता ............लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूरा देश एकमत हो गया,हम बदलेंगे जग बदलेगा, ऐसी सोच नहीं,दरअसल सोच ये है.....'वो बदलेंगे , फिर हम बदलेंगे'.....सब लखनऊ के नवाब हैं,पहले आप,पहले आप...........ट्रेन छूटती जा रही है परवाह नहीं , हम अन्य देशो से पिछड रहे हैं ,परवाह नहीं ............!!
गिने-चुने लोग हैं इमानदार जिनकी वजह से हमारा देश चल रहा है|
हमारा देश; क्या नाम है हमारे देश का???आप बता सकते हैं ??? इंडिया,हिंदुस्तान या भारत ?????
ये एक छोटा सा सवाल सुचना का अधिकार (RTI ) के माध्यम से RTI कार्यकर्ता मनोरंजन राय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से पुछा............,मंत्रालय के अधिकारियो के पास कोई जवाब नहीं था,उन्हों ने कहा की उनके पास इसकी कोई सुचना नहीं....!.सोचिये!!हमारी सरकार को अपने देश का अधिकारिक नाम नहीं पता..............!!पूरा संविधान लिखा गया और ये संविधान इंडिया का है,हिंदुस्तान का है या भारत का........ नहीं पता|
मनोरंजन राय का ये सवाल कुछ लोगों के लिए मनोरजन का विषय ज़रूर होगा लेकिन जो सुलझे हुए INDIANS ,हिन्दुस्तानी या भारतीय हैं उनके लिए ये शर्म की बात है..........|

Wednesday, June 1, 2011

Lokpal shashan.............

Lije saheb,baba ramdev ji ek baar phir aa gaye!!.......anna hazare k baad baba ramdev ji......Jai ho!!Jai ho!!
Satyagrah shuru hone wala hai baba ramdev ji ka.........badal k rakh dalunga......kya???.........Desh bhai........aur kya........!!hazare saheb to juten hue hain he........ye alag baat hai k abhi tak kuch hua nahi......!!
hazare saheb sabse pahle pradhan mantri k mantrimandal per he lokpal bithana chahte hain.....janch ki shuruaat......... yahan se.........Phir..............Nyaypalika.............phir.....malum nahi...........shayed...hamari Force.........!!!
yane k bhaiya pradhan mantri ki garima aur pad-pratishtha ka ab koi matlab nahi..... AB TO SAB DHAN BHAIS PASERI.............mera matlab hai ab sab lokpal k dayere me aayenge.....!!
baba ramdev ji bhi jut gaye hain,, to .........bhaiyon aur bahno ab aaplog baba saheb bhim rao ambedkar ji ko to bhul he jaiyen......kahenki ab to hazare saheb ka lokpal aur baba ramdev ji ka satyagrah jo sanvidhan banayaga usi per kaam hoga........humko to ab ye bhi lagta hai k Rashtrapati shashan ki jagah ab lokpal shashan aayega...................baki....aaplog to khud he samajhdar hain......ab hum kya kaheeeeeeeeeeeeeen.....!!!

Wednesday, May 25, 2011

Hme dar kyo hai.....??

Maine apni facebook profile me likha hai k mai hindu dharm ko manti hoon kyoki mujhe ye lagta hai k yehi ek aisa dharm hai jo k saare dharmon ka aadar karta hai....Lekin ye kya.......kuch hindu samaj k log to hindu dharm bachane ki baat kar rahe hain.......!!! kya hamara dharm asurakshit hai?? Kaise?? hum bhartiya hain aur hamare desh me sabse zyada abadi hum hinduon ki hai phir hame ye asurakhsha kyo mehsoos ho rahi hai k hum bhi anya dharmon ki tarah apne dharm k prachar-prasar me lag gaye hain....!!
ek baar mere ek muslim mitra ne Shree Ram kahne me sankoch vyakt kiya tha,uss waqt maine bade he aatm vishwas k sath usko kaha tha k hum to kisi masjid me jaane ya allah kahne me koi parhez nahi karte,aur na he hum iss-se hindu dharm se bhatak jaate hain,zaroor tumlogon ko ye dar hoga k tumlog apne dharm se bhatak na jao...................!!!lekin mujhe nahi pata tha k aaj hum hindu bhi kahin na kahin aisa he sochne lage hain....!!
Meri ek aur mitra ne kaha k wo jaati pratha nahi manti,achha laga sunkar lekin agle he pal wo hindu dharm bachao abhiyan se judi nazar aain.......!!!
kya koi muslim ager achhe aur samaj hit me apne vichar vyakt karega to usk dharm k chalte hum usse nahi sune-ge??
kya koi christain ager achhi baat kahta ho to hum nahi sune-ge??
Mujhe to bahut garv hota hai k hamra desh ek dharm niripeksh desh hai.............!!
Ager hum jaati bhed mitana chahte hain, ek swasthya samaj k liye to hame dharm ka mat-bhed bhi mitana hoga ek shaktishali desh k liye.......!!
Ek film aai thi jisme ek bahut he khubsurat baat kahi gai thi............"IS DUNIYAN ME SIRF DO KISM K INSAN HOTE HAIN,ACHHE INSAN JO ACHHA KAAM KARTE HAIN AUR BURE INSAN JO BURA KAAM KARTE HAIN.....................!!
Ager hum isi sutra k adhar per jaati aur dharm tay karen to kisa rahega??????

Tuesday, April 12, 2011

Mai charcha kar rahi hoon sector-29 me rahne wali Anuradha(42) aur Sonali(38) ki.aap bhi in dono ladkiyo k baare me jante honge kyoki aaj-kal inki kahani sabhi ki zuban per hai.phir bhi mai thoda apne shabdo me inki kahani ko bayan krna chahti hoon.mata-pita k dehant k baad dono bahno ne ye faisla liya k wo apne chhote bhai Vipin ko mata-pita ki kami mahsoos nahi hone dengi,C.A. Anuradha aur export company me karyarat Sonali ne bina apni khushiyon ki parawah kiye apne bhai ko padha-likha ker 4 saal pahle uska vivah karaya.Faridabad ki I.T. company me karyarat Vipin apni patni ko lekar lagbhag dedh saal (one n a half yrs)pahle kahin aur rahne laga,zahir hai ye sadma bahno ko bardasht nahi hua aur undono ne khud ko apne he ghar me qaid kr liya.(badi bahan ne shadi bhi nai ki thi)bina khaye-piye ye dono bahne January se apne he ghar me qaid hain,samajsevi sangathan ko padosiyo ki suchna milne per in dono bahno ko nikala gaya.jbki padosiyon ne pahle b police ko suchna di thi lekin koi karyawai nai hui.anuradha lagbhag coma me hai aur sonali bhi buri tarah awasad(depression) me hai. Ajeeb waqaya...,sanvedanheen samaj aur kuch logon ne to is subject ko lekar hamare P.M. aur president tak ko doshi thahra diya.log kis nazar se is dil dahla dene wali ghatna ko dekh rahe hain muje nahi malum lekin jahan se mai dekh rai hoon wahan se muje indono bahno ka kiya ghalat nai laga kyoki har baar samjhaota karna he thik nahi hota balk apna dukh wyakt krna bhi zaroori hota hai.muje lagta hai ki ye ager aisa nahi krti to log ink dukh ko mahsoos nahi kr sakte the aur jis samaj me inka bhai utha-ta baithta hoga wo samaj bhi ab uss bhai ko hikarat ki nazron se dekhega.mere kahne ka matlab qatai bhi ye nahi hai k her insan ko dispoint hokar aise qadam uthane chaiye lekin aise qadam bhi kabhi-kabhi samaj ko ek bhawanatmak soch dene per majboor kar jaate hain............!!!!!

Monday, April 11, 2011

Anna hazare k andolan ko safalta bhale he mil gai ho lekin ab bhi kuch log aise hain jo ye mante hain k Anna ki mang ka tariqa sahi nahi tha,ya kuch log aise hain jo ye kahte hain k Anna k iss anshan k peeche rajneetik log shamil hain........... hamare desh ki yehi vidambana hai k koi ager sahi disha me sochne ya karne ki koshish karta hai to usko shaq k ghere me le liya jata hai aur hazaron buraiyan gina di jati hain......!!! aise logon ki soch mujhe samajh nahi aati......khud to koshish kar nahi sakte aur ager koi kare to ya uska mazaak bana diya jata hai ya usko ghalat thahra diya jata hai......!! Mera manna hai k kaam sahi ho.........hum Anna ki mang ka samarthan kar rahe hain aur unki mang jayez hai ye sabhi jante hain.