जब भी यात्राओं का ज़िक्र होता है दिमाग में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की तीर्थ यात्रा याद आती है, लेकिन आज के दौर में जब भी यात्राओं का ज़िक्र आता है तो बरबस ही दिमाग में राजनितिक यात्रायें घुमने लगती है|
इन राजनितिक यात्राओं की शुरुआत गाँधी जी द्वारा दांडी यात्रा से हुई जिसका मकसद अंग्रेज़ो का बहिष्कार करना था| बड़ा ही शुद्ध , स्वक्ष विचार और देश हित में की गई ये यात्रा थी| जिसका परिणाम...., आज हम स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं|
इस आधार यात्रा के बाद कई जानी-मानी यात्रायें हुई जब देश आज़ाद हुआ|
देवीलाल और वि.पि सिंह द्वारा की गई यात्रा,जिसका मकसद जनाधार पाना था लेकिन वि.पि. सिंह जी को देवीलाल का प्रभाव जनता में ज्यादा दिखा और यात्रा का परिणाम ये रंग लाया की उन्हों ने मंडल का कमंडल देश को थमा दिया इसलिए क्योकि उनका जनाधार बढ़े|
अडवाणी जी की यात्रा....., इस यात्रा की शुरुआत गुजरात के सोमनाथ मंदिर से हुई इसलिए क्योकि इसका मकसद राम मंदिर का निर्माण करना था| इसका अंत बिहार में हुआ या यों कहें की करना पड़ा क्योकि बिहार सरकार ने इजाज़त नहीं दी| परिणाम भाजपा की सरकार बनी लेकिन जिस मकसद से यात्रा हुई थी वो मकसद धरा का धरा रह गया...., हाँ! राम जी ने भाजपा का तो कल्याण कर ही दिया|
राहुल गाँधी की पद यात्रा मकसद ग़रीबों का कल्याण लेकिन इसमें भी वोट बैंक के कल्याण से ज्यादा नज़र नहीं आता|
अन्ना जी......., भारत को एक ऐसा समाज सेवी मिला जो राजनीति से परे देश हित में सोचने वाला गाँधी रूपी विचार धारा रखने वाला....,
किन्तु कुछ दिनों पहले इन्होने भी यात्रा शुरू करने की बात की और यात्रा का मकसद कांग्रेस के खिलाफ जनसमर्थन न बने | अन्ना जी जब बच्चे बच्चे के ज़बान पर आये तो इनका मकसद था भ्रष्टाचार की खिलाफत करना लेकिन कैसे इनका आन्दोलन यात्रा में बदला और राजनीति से प्रेरित हो गया पता नहीं चला|
आंकलन कीजिये दांडी यात्रा से आजतक की गई यात्राओं पर, जो इन यात्राओं की आधार यात्रा थी उसका मकसद और आज की गई यात्राओं का मकसद!!!
आज राजनीती में की गई यात्राये देश का कौन सा हित कर रहीं है???