Wednesday, July 13, 2011

अनुरोध ..............

 मुंबई  ब्लास्ट  हुआ  कल ,कितने  लोगों  के  परिवार  उजड़  गए  होंगे , 
 कुछ  अपाहिज   हो  गए होंगे....,  
लेकिन  लोगों  का  गुस्सा   ये  की  मुसलमान  पैदाइशी  आतंवादी  होते  हैं...,  
क्यों  लोग  ये  भूल  जाते  हैं   की  मरने  वालों  में  कोई  एक  धर्म  शामिल  नहीं  है ,क्यों  भूल  जाते  हैं  की  अपने  कब्रिस्तान   में  आतंक  वादियों  की  लाशो  को  दफ़नाने  से  मुसलमानों  ने  इंकार  कर  दिया  था ,जामा   मस्जिद  में  भी  ब्लास्ट  हुआ  था .....
मेरा   आपलोगों  से  अनुरोध  है  की  कृपया  ऐसी  बातों  से  इस   दुःख  के   छड   में  किसी  धर्म  विशेष  को  न  भड़काए ....शांति  बनाये  रखे .... उन आंतकवादियों की मंशा को साकार ना करे , ये  हमारे  और  हमारे  देश  के   लिए  हितकर  होगा ,हम  भारतीय  हिन्दू-मुसलमानों  को  एक  साथ  होकर  इसका  विरोध  करना  चहिये ,न  की  एक -दुसरे  पर  इलज़ाम  लगाने  का  वक़्त  है .......धन्यवाद् !! जय हिंद.....!!

Monday, July 11, 2011

सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण

तुलसी दास जी विद्वान होते हुए रामायण में एक ऐसी चौपाई लिख दी कि कुछ वर्ग विशेष को बहुत खलती है..........,
खास तौर से जिनको "शुद्र" की श्रेणी में रखा जाता है, वो अपने- आप को अपमानित समझते हैं और अपने मंचों से तुलसी दास की निंदा भी करते हैं|

वह चौपाई अरण्य कांड में इस तरह है........

"पुजिय विप्र शील गुण हिना ,शुद्र न गुण-गन ज्ञान प्रवीना"


बहुत मनन करने के बाद मेरे चिंतन में यह आया कि गुण तीन होते हैं.........
सतो गुण, रजो गुण और तमो गुण,........यह तीनों गुण मिल कर के मनुष्य के शील को नष्ट कर देते हैं.........,
इसीलिए तुलसीदास जी का आशय था कि बिना पढ़ा लिखा “विप्र” अगर इन गुणों से हीन है तो वो स्वयं ही योगी और संत है,और वह "ब्रम्ह जानाति ब्राम्ह्मनाह" की श्रेणी में आ जाता है ,जिसका अर्थ है --- ब्रह्माण्ड को जानने वाला ही ब्राह्मण है|

योगी , साधु तथा निर्गुण मनुष्य (यहाँ निर्गुण से तात्पर्य उन तीनों गुणों से हीन जो उपर्युक्त दर्शाए गए हैं)  ब्राहमण की श्रेणी में आता है उसकी जाति विशेष से सम्बन्ध नहीं होता |

दूसरी तरफ एक विद्वान मनुष्य सभी ग्रंथो का अध्ययन करने के बाद भी इन उपरोक्त तीनों गुणों का त्याग नहीं करता तथा उसका शास्त्रिय ज्ञान केवल विद्वता के लिए है ,वह विदेह नहीं है उसका अध्ययन और पांडित्य केवल छिद्रान्वेषण (टिका-टिपण्णी) के लिए ही होता है, वास्तविकता यह है कि उसकी आस्था उस विषय में नहीं होती | वही "शुद्र" है|
इसलिए वह साधु ,योगी की श्रेणी में नहीं आता,अतएव वह पूजनीय नहीं है और इससे यह समझा जा सकता है कि ब्राहमण तथा शुद्र कोई जाति नहीं होती|

रैदास, कबीर, बाल्मीकि अदि पूजनीय हैं जबकि वे जाति निम्न वर्ग के थे| | तुलसी दास की उसी सम्बन्ध में एक और चौपाई है जो उपरोक्त अर्थ को सार्थक करती है ..................

ज्ञान मान जह  ऐकौह  नाहिं,देख ब्रह्म समान सब माहीं|
कहिये तात सो परम विरागी, र्त्रिन सम सिद्धि तीन गुण त्यागी||

अतः तीनों गुणों को त्यागने वाला ही परम विरागी और पूजनीय है|

Thursday, July 7, 2011

राम ही राखे

हम तो पहले ही कह रहे थे के सोनियां आंटी अगर मन्नू अंकल को बोलने से मना करतीं हैं तो इसमें ज़रूर देश की भलाई होगी,
क्योकि मन्नू अंकल अगर बोलेंगे तो लोग उन्हें तोलेंगे और फिर पोल खोलेंगे.....!!
आखिर मन्नू अंकल का स्वाभिमान जगा दिया आपलोगों ने और उन्हों-ने बोल डाला,बोला क्या.... फोड़ डाला............ "बांग्लादेश की २५ फीसदी आबादी भारत विरोधी है"...,
हो गया बेड़ा ग़र्क़....ले-दे के कुछ ही देशों से बनती है और उसपर भी ये बयान ............. पूरा पीएमओ परेशान और हलकान इसको कवर करते-करते!
देखा सोनियां आंटी कितनी सही हैं........अब अगर मन्नू अंकल ने कुछ बोला तो राहुल भैया आप तैयार रहिये क्योकि ये लोग जो आपकी पद यात्रा का मज़ाक बना रहे हैं
इन्हों-ने कभी ख़ुद ये मज़ाक करने की जुर्रत नहीं की.............??वाता अनुकूलित में रह कर और लाल बत्ती वाली गाड़ियों में घूम कर देश चलाना बहुत आसान है
यहाँ तक की cong में ही गाँधी परिवार के सिवा किसी ने ये हिम्मत नहीं दिखाई|
और वोलोग जीनका नारा ही ये है की 'बहुजन हिताय-बहुजन सुखाये'.......बहुजन सिर्फ सुखाये ही सुखाये......!!
राम ही राखे ...........