कल गणतंत्र दिवस है,बहुत ही ख़ुशी का दिन ,हर भारतीय दिलों में कल के दिन ग़ज़ब का जस्बा देखने मिलता है,हर बच्चे के हाथ में तिरंगा हमारे उज्वल भविष्य को दर्शाता है..लेकिन क्या ये वाकई हो रहा है?क्या हम अपने देश का उज्वल भविष्य बनाने में योगदान दे रहे हैं?? या इसकी नीव और कमज़ोर किये जा रहे हैं....!!
देश के कर्णधार तो देश को ग़लत दिशा दे ही रहे हैं लेकिन हम याने की आम जनता क्या कर रही है.....??हमारी सोच ,हमारे संस्कार सब क्यों मर गए हैं.....??
एक नेता ने अपने जूते को एक बच्चे से पहनवाया तो हम सबका गुस्सा फुट पड़ा क्योकि वो बच्चा हमारे देश का भविष्य है कोई किसी नेता की जागीर नहीं और उस नेता
ने माफ़ी भी मांगी .......लेकिन इन्हें कौन कहेगा माफ़ी के लिए जो आये दिन जनसभाओ में जूते और चप्पलों से विरोध कर रहे हैं या किसी भी सोशिअल नेट्वोर्किंग साईट पर अनर्गल बाते और शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं......!!!
किसी ने प्रशांत भूषण को पिटा और बाबा रामदेव पर स्याही फेंकी तो किसी ने केजरीवाल और राहुल गाँधी पर जुते फेंके..........,क्या ये विरोध करने का तरीका हो गया है हमारे देश में,...गाँधी के देश में और तो और एक गाँधीवादी नेता से हम ये उम्मीद नहीं करते जिसने अपना पूरा आन्दोलन अहिंसा के साथ चलाया वो ये कहे की "एक ही थप्पड़ मारा"..........क्या उनका ये कहना ऐसी बातों को बढ़ावा नहीं देता...आज किसी नेता पर जूते चप्पल पड़ रहे हैं तो जनता भी मज़ा ले रही है किसी को बुरा नहीं लग रहा लेकिन क्या इससे हमारे आने वाली पीढ़ी को ग़लत सन्देश नहीं जा रहा?? क्या हमारे देश का सम्मान बढ़ रहा है बहार देशों में?
कितनी जगह विरोध प्रदर्शन हुआ काले झंडे दिखा कर क्या ये तरीका सही नहीं है? ये भी एक तरीका है, विरोध प्रदर्शन का ,आप अपनी अनुपस्थिति से भी सभाओ में विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं,
लेकिन अब जनता खुद को इतनी सायानी समझ रही है की वो किसी भी हद तक निचे गिरने को तैयार हो गई है.....!!
हर विरोधी राजनीति दल इस तरह के विरोधो को अपने गुर्गों से इस्तेमाल कवायेगा और हम जनता इसका समर्थन करेंगे की एक और जूता मरना चाहिए था.....!!!
जब डॉ.कुमार विश्वास ने ये कहा की राहुल गाँधी जब अपने पिता के हत्यारों को फांसी नहीं दे सके तो देश से भ्रष्टाचार क्या दूर करेंगे ,बिलकुल सही कहा और ये तरीका है अपने गुस्से को दिखाने का ये नहीं की राहुल गाँधी की माँ को गलिया दें और ये भूल जाये की हमारे देश में औरतों को सम्मान दिया जाता है ...........लोग कहते-कहते नहीं थकते की सोनिया गाँधी विदेशी हैं..........लेकिन उन लोगों ने कभी ये सोचा की वो जो सोनिया गाँधी अपने पति के साथ जब जनसभाओ में जाती थी तो उसके सर से कभी पल्लू नहीं गिरता था.....क्या उसने हमारे देश के संस्कार को अपनाया नहीं.............??मै यहाँ ये साफ़ करना चाहूंगी की मै किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रही महज़ संस्कारों की बात कर रही हूँ................!!!
जनता कुछ भी लिख देती है......, जवाहर लाल नेहरु जो की हमारे देश के पहले प्रधान मंत्री थे उनके बारे में इतनी अनर्गल बातें?? ........अभी दो दिन पहले ही सुभाष चन्द्र बोस की जयंती मनाई गई ,उनको भी लिख देना था न की विदेशी महिला से उनका सम्बन्ध था...............नहीं लिखा आपलोगों ने क्यों?? क्योकि वो महान थे और महान रहेंगे हमेशा अपनी सोच और कर्म से......
इंदिरा जी जिसको आज भी पक्ष हो या विपक्ष ये कहते नहीं थकता की वो आज-तक की सबसे बेहतरीन प्रधान मंत्री रहीं है जिसमे ग़ज़ब की छमता थी निर्णय लेने की लेकिन आपलोग उनको भी अनर्गल कहते नहीं थकते......और तो और हमारे राष्ट्र पिता को भी आपलोगों ने क्या-क्या नहीं कहा ............
क्या हो गया है लोगों को ??जिनकी वजह से या जिस संस्कार के द्वारा हम खुद की पहचान बनाये हुए हैं उसीको धूमिल करने में लगे हैं.........
अभी दागी नेता किसी भी पार्टी से चुनाव लड़े तो आप उसका समर्थन ये कह कर करते हैं की हम पार्टी की नितियों का समर्थन कर रहे हैं और हमें फ़ला पार्टी का शाशन चाहिए लेकिन क्या उसी वक़्त दागी नेता का समर्थन जो पार्टी करती है उसकी निति का अंदाजा आपको नहीं लगता??
हम अपनी ज़िम्मेदारी को कब समझेंगे?? क्या लोकतंत्र का मतलब ये है की हम अपने देश का संस्कार भूल कर जूते,चप्पलों और गलियों से बात करें.......??
गाँधी के देश में गांधीगिरी से काम लेने के बजाये दादागिरी हो??और एक सबसे बड़ी बात की इसकी
बहुत बड़ी ज़िम्मेदार मीडिया और पुलिस है..............पुलिस जो दो दिन में छोड़ देती है ऐसे विरोध करने वालों को तो मीडिया १० बार अपने चैनल पर दिखाती है और वो जो ऐसी हरकत करते हैं उनको सस्ती ही सही पब्लिसिटी तो मिल ही जाती है...........!!!
नितियों का विरोध कीजिये,ग़लत का विरोध कीजिये,पार्टी,जाति,धर्म से उपर हो कर देशहित में सोचना होगा.....हम क्या कर रहे हैं और अपने देश और आने वाली पीढ़ी को क्या सन्देश दे रहे हैं ये सिर्फ और सिर्फ हमारा कर्तव्य है......!!
हम सुधरेंगे तभी जग सुधरेगा............इसी विश्वास के साथ की हम सब मिल कर अपने देश का नाम खूब रौशन करें..........गणतंत्र दिवस की शुभ कामनाओ के साथ..........
जय हिंद,वन्दे मातरम...........!!
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